IND VS SA भारत और साउथ अफ्रीका के बीच पहला ओडियायी मैच

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IND VS SA  भारत ने साउथ अफ्रीका को 8विकेट से  हरा दिया। भारत बनाम साउथ अफ्रीका मैच हाइलाइट भारत vs साउथ अफ्रीका Cricket match IND VS SA #SPORT  भारत ने साउथ अफ्रीका से 8 विकेट से जीता ।  भारत vs साउथ अफ्रीका के बीच 3ओडियायी मैचों की श्रृंखला में भारत ने साउथ अफ्रीका को अपने पहले मैच में 8 विकेट से हराया । जो की यह एक बहुत बड़ी जीत थी।इस जीत के चलते अब भारत इस 3 मैचों की श्रृंखला में एक शून्य से आगे है। टास  साउथ अफ्रीका ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। साउथ अफ्रीका पहली पारी 116/10 (27.3) ओवर साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के खिलाफ मात्र 27.3 वोवर में 116 रन ही बना पाई  टोनी डे जोर्जी 28(22) Markaram 12(21) Phehlukwayo 33(49) अर्शदीप 5/37(10 ) आवेश 4/28(8) कुलदीप 1/3(2.3) भारत दूसरी पारी 117/2(16.4) वोवर साईं सुदर्शन 55(43) श्रेयस अय्यियर 52(45) भारत ने इस छोटे से लक्ष्य का पीछा करते हुए इस लक्ष्य को आसानी से मात्र दो विकेट के नुकसान पर प्राप्त कर लिया।

Maha rana pratap ke bare mein jankari

 महाराणा प्रताप, जिनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था, एक प्रसिद्ध राजपूत योद्धा और मेवाड़ के 13वें महाराणा थे, जो आज के राजस्थान, भारत में स्थित थे। उनका जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभालगढ़ में हुआ था, और उन्होंने 1572 से अपनी मृत्यु के दिनांक 29 जनवरी 1597 तक मेवाड़ का शासन किया।


राणा प्रताप बहादुरता, देशभक्ति और मुग़ल सम्राट अकबर के सेनाओं के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक के रूप में याद किए जाते हैं। वह भारतीय इतिहास में महान राजपूत योद्धाओं में से एक माने जाते हैं। हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी अविचल लड़ाई एक महान धृतिमान और संकल्प की कहानी बन गई।


उनके शासनकाल में, राणा प्रताप को मुग़ल साम्राज्य से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शक्तिशाली मुग़ल सम्राट अकबर, अपने साम्राज्य का विस्तार करने और मेवाड़ को अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि, राणा प्रताप ने समर्पण नहीं किया और अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए कठोरता से लड़ाई दी। उन्होंने 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में हार जाएँ थीं, लेकिन मुग़लों के खिलाफ गुएरिला युद्ध तकनीक का प्रयोग जारी रखा।


महाराणा प्रताप की राजधानी को मुग़ल सेनाओं द्वारा जब उदयपुर शहर का कब्ज़ा हो गया तो उन्होंने इसे दूरगाम और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चित्तौड़गढ़ क़िले में स्थानांतरित कर दिया। उन्हें संसाधनों और संसाधानों की हानि जैसी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई कभी नहीं छोड़े।


महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वफादारी और त्याग के लिए प्रसिद्ध हुआ। चेतक ने गंभीर घायल होने के बावजूद राणा प्रताप को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, लेकिन अपने जीवन को बलिदान कर दिया।

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